मैं तुम्हें ढूंढता हूं हर जगह क्यों मिलते हो तुम मेरे जिस्म में हर एक जगह कभी तासीर बन के आंखों से बहते हुए कभी सांस बन के लबों से हवा में मिलते हुए।। ©Farhan Raza Khan Farhan Raza Khan 🖋️ @shhaayar📜 - मैं तुम्हें ढूंढता हूं हर जगह क्यों मिलते हो तुम मेरे जिस्म में हर एक जगह कभी तासीर बन के आंखों से बहते हुए कभी सांस बन के लबों से हवा में मिलते हुए।।