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बंद हैं होंठ तेरे, ज़ुबाँ भी चुप है खामोशी से नज़रें

बंद हैं होंठ तेरे, ज़ुबाँ भी चुप है
खामोशी से नज़रें मुझे देखती हैं

तुम्हे क्या पता, शोर कितना है इनका
ठगा सा सुनूँ, मोह इतना है जिनका
बहोत बोलती हैं ये आंखे तुम्हारी
नही बोलतीं, पर बोहोत बोलती हैं #आंखें
#ज़ुबाँ
बंद हैं होंठ तेरे, ज़ुबाँ भी चुप है
खामोशी से नज़रें मुझे देखती हैं

तुम्हे क्या पता, शोर कितना है इनका
ठगा सा सुनूँ, मोह इतना है जिनका
बहोत बोलती हैं ये आंखे तुम्हारी
नही बोलतीं, पर बोहोत बोलती हैं #आंखें
#ज़ुबाँ
jaisingh8835

Jai Singh

Bronze Star
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