देवी का वो रूप ले, आई धरा पर.. रखा नौ महीने जिसने तुमको साँसों से लगाकर, उसी माँ की वंदना में गीत मै ये लिख रहा हूँ.. गलतियों को माफ़ करना मुश्कुराकर.. कर नहीं सकता हिफाजत खुदा,सबकी यहाँ पर इसलिए भेजा धरा पे माँ बनाकर.. माँ कि परिभाषा बता पाना कदा संभव कहाँ.. एक तरफ़ माँ को बिठा दो एक तरफ़ सारा जहां.. व्यंजनों की खान से भर दो यहाँ थाली सजाकर.. आत्मा तो त्रप्त होगी माँ के हाथ का पकवान खाकर.. माँ तुझपे लिखूँ क्या तू आदि, तू ही अनंत हैं.. तू है सावन सी सुहावन, ऋतुओं में बसंत है.. हैं तलाशती मेरी साँसे तेरी आँचलों की खुशबुओं को.. कभी सो जाता था जिनको चेहरे पे अक्सर सजाकर... है तेरा उपकार माँ चल रहा हूँ आज मै जो सर उठाकर.. #sir_deven #maa