ओ मेरी जमात के कवियों ये सच है बसंत की चाल कुछ बदली बदली सी है उसके रातों की नींद आजकल उड़ी उड़ी सी है मग़र इसके लिए उसकी हरकतों को आवारा ना कहो बसंती के हुस्न पे कविताएँ मत लिखो क्योंकि अभी तो परीक्षाओं की घड़ी है और इसीलिए सबकी धड़कनें बढ़ी हुई हैं बढ़ती बेरोजगारी में रोमांस का वक़्त ना अभी बसंत के पास और बसंती को भी है काम हज़ार वो नहीं है सबके मोहब्बत की दुकान #challenge #बसंत #बसंती #परीक्षा #मोहब्बत #रोमांस #समय #YQdidi #YQbaba