ना कोई राजा, ना कोई रंक अजब निराले हैं प्रेम के ढंग हृदय के तारों ने छेड़ी है तरंग मन की आंखों से रच लिया रूप-रंग उड़ता दूर हवाओं में वो चंद्रमा के संग जैसे बसा हो अंग-अंग में अवनी का अंश ©Manku Allahabadi अवनी का अंश ........................................................ ना कोई राजा, ना कोई रंक अजब निराले हैं प्रेम के ढंग हृदय के तारों ने छेड़ी है तरंग मन की आंखों से रच लिया रूप रंग