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ना कोई राजा, ना कोई रंक अजब निराले हैं प्रेम के ढं

ना कोई राजा, ना कोई रंक
अजब निराले हैं प्रेम के ढंग

हृदय के तारों ने छेड़ी है तरंग
मन की आंखों से रच लिया रूप-रंग

उड़ता दूर हवाओं में वो चंद्रमा के संग
जैसे बसा हो अंग-अंग में अवनी का अंश

©Manku Allahabadi अवनी का अंश
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ना कोई राजा, ना कोई रंक
अजब निराले हैं प्रेम के ढंग

हृदय के तारों ने छेड़ी है तरंग
मन की आंखों से रच लिया रूप रंग
ना कोई राजा, ना कोई रंक
अजब निराले हैं प्रेम के ढंग

हृदय के तारों ने छेड़ी है तरंग
मन की आंखों से रच लिया रूप-रंग

उड़ता दूर हवाओं में वो चंद्रमा के संग
जैसे बसा हो अंग-अंग में अवनी का अंश

©Manku Allahabadi अवनी का अंश
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ना कोई राजा, ना कोई रंक
अजब निराले हैं प्रेम के ढंग

हृदय के तारों ने छेड़ी है तरंग
मन की आंखों से रच लिया रूप रंग