लिख दूं उसको या ना लिखने का बहाना कर दूं जिंदगी तू ही बता अब मैं इश्क़ कैसे दोबारा कर लूं भूल गई मै खुद को उसमें फना होते होते क्या मै फिर करके इश्क़ खुद को आवारा कर लूं ? हम थक गए रोज ये गम के अश्क पीते पीते इसबार क्यों ना मै भरी महफिल में ही खुद को रुसवा कर दूं ? आज सोच कर वो बाते पुरानी सब, इस दिल को बड़ा धक्का सा लगता है बीत गए जो लम्हें आज मै उनसे किनारा कर लूं करके आजाद उसको मै क्यों ना इस जबरदस्ती के रिश्ते से रियायत दे दूं उससे मुझे कोई शिकायत नहीं, मिला जो उससे मुझे वो रब की इनायत सही लिख दूं उसको या ना लिखने का बहाना कर दूं इन अहसास के पन्नों पर मै क्यों ना अपने जख्मों की राहत लिख दूं sweety verma ©DIKSHA #steps