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फुरसत कहां मिलती हैं अल्फाजों से निकलने की। दिल तो

फुरसत कहां मिलती हैं अल्फाजों से निकलने की।
दिल तो करता है हर पल यारों से  गले मिलने की।
सोचता हूं तेरे ही आशियानों में किराए भरने की।
कम से कम मोहलत तो मिल जाएगी भाभियों से मिलने की।

©M A Waquar only for friends

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फुरसत कहां मिलती हैं अल्फाजों से निकलने की।
दिल तो करता है हर पल यारों से  गले मिलने की।
सोचता हूं तेरे ही आशियानों में किराए भरने की।
कम से कम मोहलत तो मिल जाएगी भाभियों से मिलने की।

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azharwaquar7698

Azhar Waquar

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