अंतर्मन के संबंधों को कलुषित मत होने देना वियोग अवस्था है केवल इससे स्वयं को विकारग्रसित मत होने देना होने देना पुष्प विकसित विनाश मत होने देना धरा गोल है, पुनः मिलना है संयम मत खोने देना ©iamkumargourav ©Gourav (iamkumargourav) अंतर्मन के संबंधों को कलुषित मत होने देना वियोग अवस्था है केवल इससे स्वयं को विकारग्रसित मत होने देना होने देना पुष्प विकसित विनाश मत होने देना धरा गोल है, पुनः मिलना है संयम मत खोने देना