Nojoto: Largest Storytelling Platform

जल ने मेरे तन का साथ छोड़ दिया है , मेरी आत्मा में

जल ने मेरे तन का साथ छोड़ दिया है ,
मेरी आत्मा में खारापन भर गया है ,
मैं नमक का पुतला हो गई हूं । 

प्रत्येक पीड़ा मुझसे मेरे हिस्से का जल छीनती गई ;
प्रत्येक दुख मुझसे मेरे तन का मांस नोंच ले गया ;
प्रत्येक दुत्कार मुझसे मेरे हिस्से की हंसी ले गई...

मैं लंबे अरसे तक प्रेम की चौखट पर आस का दीपक जलाए खड़ी रही..

मैं अंजुरी भर स्नेह अश्रु,
हथेली भर स्पर्श ,
टुकड़ा भर मुस्कान चाहती थी ..

परंतु नियति मुझे यह भी न दे सकी ! 

दुख मेरी चौखट पर आंखें गड़ाए खड़े थे ..
प्रेम मेरे लिए अपने किवाड़ कभी नहीं खोलेगा
वे इस बात से अवगत थे।

©Meenakshi
  #srijanaatma