एक लेखक ना जाने कितना कुछ लिख जाता है इतिहास के बारे मे एक कलाकार अपनी कला से ना जाने कितने किरदार निभाता है लेखक से आज पूरी दुनिया का इतिहास जिन्दा है लेखक से आज बने हुए इतिहास का काल ज़िंदा है लेखक एक ऐसा गुमनाम चेहरा है जो हमेशा अपनी बात छिप के करता है कभी अपना चेहरा नहीं दिखता बस अपनी बात कह के उलटे पाव चल जाता है लोगो को एहसास भी नहीं हो पाता की आज जो हम बोल रहे है जो हम लिख रहे है वो एक लेखक की प्रतिक्रिया है जिसमे हर इंसान अनुकूल है #रबीन्द्रनाथ टैगोर