हे!प्रिय निज तन मन तुम ही समाई हो, निकट प्रणयमिलन की बेला आई हो, तुम ही मेरे हृदयस्पन्दन में स्पंदित हो, जैसे अलि पुष्प पर मधुर गुंजित हो, ये प्रेम बन्धन जो आज बन्ध गया है, मानो तुम मेरे कृष्ण मैं राधा रानी हूँ, तुम मेरे प्रीत मैं तुम्हारी मनमीत हूँ। ★★ सभी रचनाकारों से अनुरोध है कि लिखने से पूर्व कैप्शन भली भांति पढ़ें★★★ #collabchallenge ★ इस कोलाब को पूर्ण कीजिये एवं तस्वीर के सम्मुख खाली जगह पर ही लिखने का प्रयास करें। ★ तस्वीर के ऊपर अगर शब्द आते हैं तो आपकी रचना को प्रतियोगिता में शामिल नहीं किया जायेगा। .