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अरमान इतने भी न थे जो पूरे ना होता । भीड़ में अपनो

अरमान इतने भी न थे जो पूरे ना होता ।
भीड़ में अपनों की आज अजनबी ना होते ।
किस्मत तो छोडो किसी ने पूछा भी होता।
शायद इस कदर हम परेशान भी ना होते।
कोशिशें भी रही तो वो भी गैरों के लिए थी।
वर्ना हम तुम्हें तो मिन्नतों से ही मिल पाते ।
खबर पड़ी हम तो बस मुसाफिर हि तो है।
काश कि राज खुद के तुम्हें बताए ना होते।

,,,,,,,अपने राज किसी
 से न कहें,,,,

©Vickram
  कौन कब बदल जाए
 मालूम नहीं*************
vickram4195

Vickram

Silver Star
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कौन कब बदल जाए मालूम नहीं************* #शायरी

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