“तन्हाई का आलम” अपनी जिस्म और सांसों में बस का बन खुशबू चाहूं तुझे इतनी शिद्दत से करूं प्यार बेइंतहा। मैं अपनी हर सांस जिंदगी कर दूं बस तेरे नाम तू भी चाहे मुझे ऐसे कुछ तो दिखा जज़्बात। ताउम्र ओ बेखबर तू रहे मेरे खयालों में कंधे पर रख सर ज़ुल्फ मैं तेरे संवार दूं। चलो एक दुजे में खो एक दूसरे के हो जाएं ऐसी रात ऐसे खयालात लगे पहली मुलाकात। नींद टूटी ख़्वाब टूटे सारे सपने बिखरे बेवफ़ाई का फासला टूटा दूरियां बढ़ती गईं। तन्हाई के आलम में जीते गए जिंदगी का जहर हम पीते गए।। #kkpc19 #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकागज़ # विशेषप्रतियोगिता