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########## तुम चली गयी पर--- तेरे यादों का क्या क


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तुम चली गयी पर---
तेरे यादों का क्या करूं! 
तुम चली गयी पर---
तेरे वादों का क्या करूं ।
मेरे प्यार को तुम ठुकराकर , 
मुझको जीते जी मार दिये ! 
न कुछ सोचे न कुछ समझे ,
ज़ुल्म ओ ज्यादती हजार किये।
तुम चली गयी पर---
मै पंख हीन परिंदा हूं!
तुम चली गयी पर---
मै कहने को ही जिंदा हूं। 
तुम्हारे लौटने की ए "हरि" , 
दिल को उम्मीद और आस है!
अहसास करोगी एक न एक दिन ,, 
मुझको ये विश्वास है  l
कवि हरिश्चन्द्र राय "हरि"
मुम्बई (महाराष्ट्र) 💖7905967292💖

©कवि और अभिनेता हरिश्चन्द्र राय "हरि"
  परम् सनेही मित्रों! 
शुभ रात्रि--प्यार ही प्यार।

परम् सनेही मित्रों! शुभ रात्रि--प्यार ही प्यार।

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