एक उम्र के बाद जाने क्यों उसका ख्याल आया,कैसी होगी वो,हाल उसका याद, आया,क्या फुर्सत के पलों में याद उसको आती होगी,या उसके जेहन में कभी जिक्र मेरा होता होगा,काली जुल्फे सुनहरी हो गई होंगी,चेहरा मासूमियत से गंभीर हो गया होगा,वक्त की लकीरें झलक रही होंगी चेहरे की सिलवटों से,जाने कितने रिश्तों के बंधन में बंधी होगी वो,क्या वो वैसी होगी जैसा मैंने सोचा था,,, दिन की दुपहरी में,आधी नींद के झोंकों,में लिख दिया कुछ भी,, कलम कागज और चश्मे को देखकर जो भी विचार आए बस बना दी कुछ पंक्तियां,,,