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मन की मंशा समझ न आवे,यह हरदम भटकावत है। इसको पावे,

मन की मंशा समझ न आवे,यह हरदम भटकावत है।
इसको पावे, उसको पावे, यह बंदर सा नाच नचावत है।।

©Shubham Bhardwaj
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