सर्वप्रथम हम आज को समझने के लिए अपने अतीत और भविष्य को समझने का प्रयास करेंगे।आज अर्थात अभी इसी वक्त, बाकी सब भूत और भविष्य है। अतीत वो है जो आज, अभी इसी वक्त से ठीक कुछ देर पहले बीत चुका है मात्र एक जीव प्राणी तथा मानव की दृश्य और घटनाओ पर आधारित स्मृति है और भविष्य जो आने वाला है वो अतीत और वर्तमान की समस्त स्थिति को ध्यान में रखते हुए एक पुर्व सम्भावित काल्पनिक स्मृति है जिसे हम अपने अतीत से लेकर वास्तविक वर्तमान में अपनी मजबूत इच्छा शक्ति और रचनात्मक कल्पना के आधार पर बनाते हैं और वास्तविकता में बदलने के लिए पूरी कोशिश करते हैं। इस संसार में सबकुछ वर्तमान ( आज, अभी, इसी वक्त, बिल्कुल अभी)में ही होता है जो होने के बाद अतीत में चला जाता है। निरन्तर चालयमान अदृश्य समय रेखा पर वर्तमान एक चालयमान अस्थिर बिन्दु समान है तथा उस समय रेखा के एक तरफ भूत ( अतीत) और दूसरी तरफ आभाषी सम्भावित भविष्य (कल) है अतः वर्तमान समय रेखा पर निरंतर अपनी मौजूदगी के चिन्ह छोड़ते हुए भविष्य की ओर चलता ही रहता है। वर्तमान में छूटे ये चिन्ह ही अतीत बनाते हैं। और ये चिन्ह जैसे दृश्य, ध्वनि, स्पर्श, सुगंध, एहसास, वार्तालाप, शब्द, स्वाद, लिखित, मौखिक, तथा घटित होने वाली समस्त वास्तविक घटनाएं आदि के आधार पर समस्त जीवों के मस्तिष्क में भिन्न भिन्न स्मृति के रूप में सरंक्षित होते रहते हैं। इस प्रकार संसार मे कुल जितने मनुष्य हैं उन सभी मनुष्यों के अतीत(स्मृति) आपस मे मेल नहीं खाती चाहे कुछ ही अंतर क्यों न हो परन्तु होगा जरूर। अतीत हमारी स्मृति पर आधारित है जो हम अपने मस्तिष्क में वर्तमान होने वाली वास्तविक घटना चिन्हों के आधार पर स्वतः बनाते हैं इसलिए सभी के मस्तिष्क में अपनी भिन्न भिन्न स्मृति के आधार पर भिन्न भिन्न अतीत होगा भले ही क्यों न सभी मनुष्य एक स्थान पर एक साथ रहें। भविष्य तो एक आभाषी सम्भावित कल्पना है जिसका होना य न होना दो स्थिति को दर्शाता है जिसमे केवल एक ही स्थिति वर्तमान में होगी दूसरी का निश्चित तौर पर समाप्त होना तय है। भविष्य वर्तमान में प्रवेश करते हुए अतीत में जाता है क्योंकि वर्तमान अतीत का निर्माण करते हुए भविष्य की ओर अग्रसर है। अब हम समझते हैं कि आज (वर्तमान ) में कैसे जीना है हमारा मस्तिष्क दो हिस्सों में है एक अवचेतन मन और दूसरा चेतन मन इसीलिए हम इंसानों की यह प्रवर्ती है कि हम रहते तो हमेशा आज में हैं सभी कार्य करते तो आज में परन्तु हमारी सोंच और हमारा मन या तो भविष्य में रहता या तो अपने अतीत में चला जाता। आज अभी इसी वक्त हम जिस भी क्रिया में संलग्न हैं उसमे पूरी तरह से हैं या नहीं हैं, इसके प्रति कितने सजग हैं कितने सतर्क हैं और कितने जागरूक हैं। यह हमारे ऊपर निर्भर है।