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कभी किसी दिन तेरे मेरे रास्ते मिलेंगे तुम्हें तेरे

कभी किसी दिन तेरे मेरे रास्ते मिलेंगे
तुम्हें तेरे इंतजा़र में हम खड़े मिलेंगे

सुकून कहते थे मेरे गेसू के छांव को तुम
पसंद तुम को सो बाल मेरे खुले मिलेंगे

ना दुख दिखेगा ना ही शिकायत करूँगी कोई
मैं मुस्कुराती रहूँगी आँसू छिपे मिलेंगे

करेंगे ख़ामोशी में ही आँखों से गुफ़्तुगू हम 
सुनो कि इस बार जिस्म को बिन छुए मिलेंगे

ये हिज्र ने तेरे मुझ को रूहानियत सिखा दी
मिलेंगे तय है या चाहे रूह बन तुझे मिलेंगे

©Divu ग़ज़ल :- 12122 12122 12122 ✍️
#divu_poetry #ghazal #Shayar #shayaari
कभी किसी दिन तेरे मेरे रास्ते मिलेंगे
तुम्हें तेरे इंतजा़र में हम खड़े मिलेंगे

सुकून कहते थे मेरे गेसू के छांव को तुम
पसंद तुम को सो बाल मेरे खुले मिलेंगे

ना दुख दिखेगा ना ही शिकायत करूँगी कोई
मैं मुस्कुराती रहूँगी आँसू छिपे मिलेंगे

करेंगे ख़ामोशी में ही आँखों से गुफ़्तुगू हम 
सुनो कि इस बार जिस्म को बिन छुए मिलेंगे

ये हिज्र ने तेरे मुझ को रूहानियत सिखा दी
मिलेंगे तय है या चाहे रूह बन तुझे मिलेंगे

©Divu ग़ज़ल :- 12122 12122 12122 ✍️
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