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हो अंकित..दो पल मेरी मर्ज़ी से भी ए ज़िंदगी.. मर

हो अंकित..दो पल मेरी मर्ज़ी से भी ए ज़िंदगी..
  मर्ज तो तेरे मरीज़ के बिनमर्जी ..छप ही जाते है! अंकित(लिखा हुआ)
हो अंकित..दो पल मेरी मर्ज़ी से भी ए ज़िंदगी..
  मर्ज तो तेरे मरीज़ के बिनमर्जी ..छप ही जाते है! अंकित(लिखा हुआ)