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खत १ (०३/११/२०२२) ~©Anjali Rai Dear Me , देखो

खत १

(०३/११/२०२२)

~©Anjali Rai  Dear Me ,

देखो , सुनो समझो कहो
वो जो देखा सुना और कहा नहीं जा सकता।।

क्योंकि कितने खाली हैं मन और जीवन 
एकदम कोरे कागज की तरह जिस पर हम जो चाहे जैसे चाहें उकेर सकते हैं ।
इस आसमान की तरह जिसका कोई रंग नहीं फिर भी हम अपने मन मुताबिक रंग सकते हैं और रंगते ही हैं।
खत १

(०३/११/२०२२)

~©Anjali Rai  Dear Me ,

देखो , सुनो समझो कहो
वो जो देखा सुना और कहा नहीं जा सकता।।

क्योंकि कितने खाली हैं मन और जीवन 
एकदम कोरे कागज की तरह जिस पर हम जो चाहे जैसे चाहें उकेर सकते हैं ।
इस आसमान की तरह जिसका कोई रंग नहीं फिर भी हम अपने मन मुताबिक रंग सकते हैं और रंगते ही हैं।