बेरपाह है लोग ,जीवन जीने की आस लिए; पहली वाली ही जिंदगी लग रही,सोच रहे अपने लिए। मानव अपने को स्वाभिमान में दे डाली चुनौती समय को; मगर घूम रही है उनकी जिंदगी, वही समय संसार में। मौत की सच्चाई भी,माया में भूल गई,लौट के फिर जाती फिर वही घर परिवार में। मोह ऐसा की मौत के आखिरी सांस भी दम तोड़ दी;परिवार के आपसी प्रेम इतना गहरा की सब छोड़ चले सँसार को। क्रमशः...................; #संवेदनशीलता