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पल्लव की डायरी महसूस मुझे तेरी नादानियाँ होने लगी

पल्लव की डायरी
महसूस मुझे तेरी
 नादानियाँ होने लगी है
मिल ना पाऊँ तो
लाख शिकवे शिकायते
अगर सामने आ जाऊँ तो
नजाकत और नखरे करने लगी है
चाहत में तू मुझे
झुकाने का ड्रामा करने लगी है
असहनीय ना हो जाये मेरे लिये
कही तेरा साथ
हर बार मुस्कराकर, 
यह रूप झेल ना पाऊँगा
                                      प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"
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