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नवल धवल किसलय कंचन वधु बैठ बियाहे ताके मृग नयन बिछ

नवल धवल किसलय कंचन वधु
बैठ बियाहे ताके मृग नयन बिछाए
रक्तिम मुख भीतर बाहर आल्हादित 
आहट कोई लगे पिया जी अब आये
.
मुस्काये बैठ बियाहे ..... मुस्काये बैठ बियाहे
नवल धवल किसलय कंचन वधु
बैठ बियाहे ताके मृग नयन बिछाए
रक्तिम मुख भीतर बाहर आल्हादित 
आहट कोई लगे पिया जी अब आये
.
मुस्काये बैठ बियाहे ..... मुस्काये बैठ बियाहे