।।श्री हरिः।।
39 - आम चूसते
आज कोई छीका नहीं लाया है। कल ही बालकों ने निश्चय कर लिया था कि वे प्रात: आम ही चूसेंगे।किसी ने भी बालकों के इस निर्णय का विरोध नहीं किया। बालक यदि हरिवासर के दिन अन्न नहीं लेते तो उत्तम ही है। वैसे भी इस पावस के प्रारम्भ में वन सूपक्व आम्रफलों से परिपूर्ण है। आम्र पोषक हैं और सुस्वादु तो हैं ही।
वन में आकर आज बालकों ने शृंगार करने की चिन्ता ही नहीं की। किसी ने भी गुञ्जा, किसलय, पुष्प एकत्र करने की ओर ध्यान नहीं दिया। सब आम्रफल एकत्र करने में लग गये।
रात्रि में वृक्षों पर से टपके फल शीतल होले हैं। रात्रि की वर्षा ने उन्हें भली प्रकार शीतल कर दिया है। बालकों ने अपने-अपने पटुकों में ही फल एकत्र करने प्रारम्भ किये। कोई नहीं सोचता कि वह इतने फल क्यों एकत्र कर रहा है।