Nojoto: Largest Storytelling Platform

कहाँ तो तय था चरागाँ हर एक घर के लिये कहाँ चराग

कहाँ तो तय था चरागाँ  हर एक घर के लिये 

कहाँ चरागाँ मयस्सर नहीं शहर के लिये, 

यहाँ दरख्तों के साये में धूप लगती है 

चलो यहाँ से चलें और उम्र भर के लिये,  

वो मुतमिन है कि पत्थर पिघल नहीं सकता 

मैं बेक़रार हूँ आवाज मैं असर के लिये, 

ना हो कमीज़ तो घुटनों से पेट ढक लेंगे 

यहाँ लोग कितने मुनासिब हैं सफर के लिये !!
 अंकुर बघेल
कहाँ तो तय था चरागाँ  हर एक घर के लिये 

कहाँ चरागाँ मयस्सर नहीं शहर के लिये, 

यहाँ दरख्तों के साये में धूप लगती है 

चलो यहाँ से चलें और उम्र भर के लिये,  

वो मुतमिन है कि पत्थर पिघल नहीं सकता 

मैं बेक़रार हूँ आवाज मैं असर के लिये, 

ना हो कमीज़ तो घुटनों से पेट ढक लेंगे 

यहाँ लोग कितने मुनासिब हैं सफर के लिये !!
 अंकुर बघेल
nojotouser6742257158

Ankur Kumar

New Creator