आज दिल चाहता है तारिफ़ करूं तेरी, ये समझ नहीं आ रहा तेरी तारिफ़ कैसे होगी। चाँद से तो हुबहु मिलती है ये सूरत तेरी, अब तू ही बता चाँदनी चाँद से दूर थोडी होगी। आफ़ताब की तरह है तेरे गालों की लाली, अब तू ही बता सूरज से आभा दूर थोडी होगी। काली घटाओं सी बिखरती हैं जुल्फ़े तेरी, अब तू ही बता बादलों से वर्षा दूर तोड़ी होगी। कंठ से निकलती है सूरीली आवाज तेरी, अब तू ही बता स्वरों से सरगम दूर थोड़ी होगी। मदहोश कर जाती है गुलाबी आँखें तेरी, अब तू ही बता गुलाब से खुशबू दूर थोडी होगी। आज दिल चाहता है तारिफ़ करूं तेरी, ये समझ नहीं आ रहा तेरी तारिफ़ कैसे होगी। -शंकरदास...✍️ आरिफ़ ऐ मौहब्बत #Love #तारिफ #प्यार #shankar_das #शंकरदास # हुश्न