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ऐसी ही एक रात थी, सूनसान सी, चुपचाप सी, एकदम शांत

ऐसी ही एक रात थी, सूनसान सी, चुपचाप सी, एकदम शांत सड़क, कुछ कुत्ते भौंक रहे थे बस इसके अलावा किसी तरह का शोर नहीं था। वक़्त कुछ बारह बजे का रहा होगा। हम दोनों आहिस्ते-आहिस्ते उसके होस्टल की तरफ़ ख़ामोशी से बढ़ रहे थे, फ़िर खामोशी को तोड़कर उसने बड़े संजीदा लहज़े में सवाल किया....तुम मुझसे प्यार क्यों करते हो? इस सवाल के जवाब में उस वक़्त मैं सिर्फ़ उसे फ़िर से ख़ामोशी दे पाया, कहना बहुत कुछ चाहा लेकिन ज़बान....कमबख़्त ये जबान ही तो है जो सही वक़्त पर नहीं खुलती। 
यूँ ही ख़ामोशी से चलते हुए हम उसके होस्टल के गेट तक आ पहुँचे और वो बिना कुछ कहे आगे बढ़कर गेट के अंदर चली गयी, मैं वहीं खड़ा था वो मुड़ी मेरी तरफ देखा और फ़िर मुड़कर धीरे-धीरे मेरी नज़रों से ओझल हो गयी। उस रात वापस लौटते हुए ख़याल आया कि जो बात जबां से बयां नहीं हो पाई क्यों ना उसे एक ख़त के ज़रिए कह दिया जाए। रास्ते में ही रुककर  स्ट्रीटलाइट के नीचे बैठ कर तक़रीबन आधा घंटा मैंने अपने दिल की वो तमाम बातें उस ख़त में लिखी जो उसके मेरी ज़िंदगी में अहम होने का सबूत देती हैं। भागता हुआ मैं होस्टल के गेट के सामने जाकर रुका उसको फ़ोन करके बाहर बुलाया और वो ख़त चुपचाप उसके हाथों में थमाते हुए कहा.....ये जवाब है तुम्हारे सवाल का। #shortstory
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#nojotohindi
#laghukahani
ऐसी ही एक रात थी, सूनसान सी, चुपचाप सी, एकदम शांत सड़क, कुछ कुत्ते भौंक रहे थे बस इसके अलावा किसी तरह का शोर नहीं था। वक़्त कुछ बारह बजे का रहा होगा। हम दोनों आहिस्ते-आहिस्ते उसके होस्टल की तरफ़ ख़ामोशी से बढ़ रहे थे, फ़िर खामोशी को तोड़कर उसने बड़े संजीदा लहज़े में सवाल किया....तुम मुझसे प्यार क्यों करते हो? इस सवाल के जवाब में उस वक़्त मैं सिर्फ़ उसे फ़िर से ख़ामोशी दे पाया, कहना बहुत कुछ चाहा लेकिन ज़बान....कमबख़्त ये जबान ही तो है जो सही वक़्त पर नहीं खुलती। 
यूँ ही ख़ामोशी से चलते हुए हम उसके होस्टल के गेट तक आ पहुँचे और वो बिना कुछ कहे आगे बढ़कर गेट के अंदर चली गयी, मैं वहीं खड़ा था वो मुड़ी मेरी तरफ देखा और फ़िर मुड़कर धीरे-धीरे मेरी नज़रों से ओझल हो गयी। उस रात वापस लौटते हुए ख़याल आया कि जो बात जबां से बयां नहीं हो पाई क्यों ना उसे एक ख़त के ज़रिए कह दिया जाए। रास्ते में ही रुककर  स्ट्रीटलाइट के नीचे बैठ कर तक़रीबन आधा घंटा मैंने अपने दिल की वो तमाम बातें उस ख़त में लिखी जो उसके मेरी ज़िंदगी में अहम होने का सबूत देती हैं। भागता हुआ मैं होस्टल के गेट के सामने जाकर रुका उसको फ़ोन करके बाहर बुलाया और वो ख़त चुपचाप उसके हाथों में थमाते हुए कहा.....ये जवाब है तुम्हारे सवाल का। #shortstory
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