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अगर मुमकीन हुआ तो वो बीज बोऊंगी, की सात आसमान तक,

अगर मुमकीन हुआ तो वो बीज बोऊंगी,
की सात आसमान तक, 
उसकी छवि, छांव, छनक, चहक,
सब असीम, 
निवृत्ति बाद, 
चाय की सुड़क, 
और थोड़ा नीला नीला सा धूप,
 उड़-उड़,
लाएं,
पूरे शीत लहर तक, 
मेरे घर-आंगन रखेंगे गर्माये कर्जदार पंख रंगीले,
ऐसे मेरे ख्याली लुत्फ,
और कहां तेरी दीवानगी,
इस पेड़ को काटने की कहती हैं!

©Prachi Sharma
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