हास्य कविता
पत्नी से पीड़ित एक मासूम पति की, है यह कहानी,
मैं बेचारा हूँ शांत सरोवर और मेरी धर्मपत्नी सूनामी,
कुछ बोलूँ तो दिक्कत गर न बोलूंँ उसमें भी दिक्कत,
ज़ुबान भी मेरी घबरा जाती आखिर कैसी ये आफ़त,
एक दिन तो हद हो गई, खुद से मैं कर रहा था बातें, #Trending#poem#kavita#nojotopoetry#nojotohindi#Comdey#sahamili