मौसम-ए-मातम है सन्नाटा छाया हुआ है। सारे गिले सिकवे भुला दो ए दोस्त... हवा मौत की चल रही है बिछड़ने का वक़्त आया हुआ है। पता नहीं कौन सी रात आखिरी हो कल की सुबह नसीब होगी या नहीं, आज जी भर कर गले से लगा लो ए दोस्त पता नहीं कल मुलाकात होगी या नहीं। आज किस्से दोहरा लो अपनी दोस्ती के, पता नहीं कल ये हसीं रात होगी या नहीं। ©अनुज उत्तम 2Lafz Unkahe #fightagainstcorona #IndiaFightsCorona #pandemic #formyfriends #brothersday