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मन की नगरी में सुख दुख की गंगा तो बहनी है, कभी धूप

मन की नगरी में सुख दुख की गंगा तो बहनी है,
कभी धूप कड़ी तो कभी बारिश सुहानी है
तू इस जीवन नैया को खेने का बोझ न पाल
उस पर शिव की कृपा तो होनी है
तू काशी में है,
 यहां क्या सुबह क्या शाम
ज़िंदगी खूबसूरत ही है

©Smita Sapre #kashinagri
मन की नगरी में सुख दुख की गंगा तो बहनी है,
कभी धूप कड़ी तो कभी बारिश सुहानी है
तू इस जीवन नैया को खेने का बोझ न पाल
उस पर शिव की कृपा तो होनी है
तू काशी में है,
 यहां क्या सुबह क्या शाम
ज़िंदगी खूबसूरत ही है

©Smita Sapre #kashinagri
smitasapre7992

Smita Sapre

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