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सुबह सुबह टहलते हुए मैंने देखा दिन कोहरा ओढ़ कर ऊ

सुबह सुबह टहलते हुए मैंने देखा 
दिन कोहरा ओढ़ कर ऊँघ रहा था 
अचानक कहीं से लालिमा उभरी 
शनैः शनैः स्याही को निगलने लगी 
एक लिफ़ाफ़े में उंगलियाँ डाल कर 
किसी ने लाल गोला बाहर खींचा 
माँ के माथे की गोल बिंदी के जैसा 
हल्की सी गर्मी का अहसास हुआ 
कोहरा घबरा कर सिमटने लग गया 
पंछी उर्जावान होकर उड़ने लग गए 
मैंने एक लंबी और गहरी साँस ली 
जीवन में एक दिन और जुड़ गया था 
कुछ चुनौतियाँ अपने साथ लेकर ...  #morningpoetry
सुबह सुबह टहलते हुए मैंने देखा 
दिन कोहरा ओढ़ कर ऊँघ रहा था 
अचानक कहीं से लालिमा उभरी 
शनैः शनैः स्याही को निगलने लगी 
एक लिफ़ाफ़े में उंगलियाँ डाल कर 
किसी ने लाल गोला बाहर खींचा 
माँ के माथे की गोल बिंदी के जैसा 
हल्की सी गर्मी का अहसास हुआ 
कोहरा घबरा कर सिमटने लग गया 
पंछी उर्जावान होकर उड़ने लग गए 
मैंने एक लंबी और गहरी साँस ली 
जीवन में एक दिन और जुड़ गया था 
कुछ चुनौतियाँ अपने साथ लेकर ...  #morningpoetry