इस चाँद को इक चाँद चाहिए ज़िन्दगी तू तो समझ ही गई न । बैठा हूँ सज़दे में इक चाँद के चाँद को ज़िन्दगी नवाज़ी गई न । पढूं नमाज़ या चाँद को देखूँ इबादत मेरी उलझा दी गई न । सेक दे मेरी आँख को रुमाल से आँखें ज़िन्दगी की खुल भी गई न । चाँद ने रख्खा चाँद का उपवास ज़िन्दगी देख मौत डर सी गई न । बुलों से टपकती बूँद- बूँद शहद ओहो ज़िन्दगी तू शहद पी गई न । काले काज़ल से घिरी काली आँखें उफ़्फ़ तू भी फँस ज़िन्दगी गई न । पहली बार देखा इस चाँद ने इक चाँद ज़िन्दगी बढ़ ज़रा चाँदनी गई न । बदन से रेज़ा - रेज़ा बह रहा है ईश्क़ ज़िन्दगी दवात भर ईश्क़ की गई न । दवात से भर लूँ स्याही अपनी कलम में आखिर ज़िन्दगी कलम से लिखी गई न । सोचा इस चाँद को कभी चाँद कहूँगा देखो राम फिर जीत मुफ़लिसी गई न । केसरिया ओढ़े थी सर से मथ्थे तक सतिन्दर को मिल गुरुबानी गई न । ©️✍️ सतिन्दर नज़्म गई न पेशे ख़िदमत है नज़्म " गई न " #kuchलम्हेंज़िन्दगीke #satinder #सतिन्दर #नज़्म #चाँद #ज़िन्दगी #सज़दा #नवाज़ी #नवाज़ #इबादत #आँख #रुमाल #उपवास #मौत #बुल #बूँद #शहद #काज़ल #चाँदनी #रेज़ा #ईश्क़ #दवात #बदन #कलम #स्याही #मुफ़लिसी saurabh Srivastava "निराला" ऋषभ दीपा चोलकर राज कबीर