'जमादारी' हर एक नदी से सभ्यता ने शुरुआत बुनी हर सभ्यता में नाले की प्रवाहित धार चली नाले से दुर्गंध आती है; आती रहेगी जमादारों की बस्ती में ये दुर्गंध समाती रहेगी. नाले से दुर्गंध कम करना इस बस्ती का काम नाला अन्ततः नदी में जाता ; सो जाएगा. गंगा आदि नदियों और नालों में कोई द्वेष है ? नहीं!नहीं! नदी उतनी शुद्ध जितनी कम नाले में दुर्गंध. गंगा आदि सभी पाप धोती; जमादार नाला गंगा की पवित्रता जमादार के दूषित होने में निहित गंगा पुजती है;पुजती रहेगी, उस बस्ती में दुर्गंध बहती रहेगी. सब कहते गंगा सभ्यता तारती, मैं कहूँगा जमादार ने गंगा तारी... - 'रणदीप पुष्पवीर' ©Randeep Yagyik #caste