छोटी सी चिडिया कहा रहेगी ? क्रोध ,चीत्कार से जरजर हो रहे मन मंदिर टूट रहे सभी रिश्ते नाते जर जोरू की खातिर बिखरा प्यार ,भांडे गलियो मे फूट रहे न्याय मांगने की खातिर आँसू घूम रहे बन्द अल्मारी का खुला दरवाजा , चोर लूट रहे ची ,ची करती छोटी चिडिया ,आँसू भी रो रहे दम घुटता अब इस मन मंदिर मे ,खोज रही नया इत देखे उत देखे,विध्वंश सभी तन - मन यहां किधर बनाए अपना घोसला ,प्थर दिल शिकारी डोल रहे ची ,ची करती चिडिया के आँसू फूट फूट कर रो रहे किससे अब यह अपने दिल के जज्बात कहेगी छोटी सी ,प्यारी सी यह चिडिया अब कहा रहेगी छोटी चिडिया .....आत्मा मन मंदिर ............शरीर भारत 30-04-2019 copyright अशोक कुमार 6/344 नई बस्ती पट्टी चौधरान निकट प्रिया शिशु भारती पब्लिक स्कूल बडौत बागपत उत्तर प्रदेश 250611 Spiritual Poem by ASHOK KUMAR INTERNATIONAL POET FROM BARAUT BAGHPAT UP