Nojoto: Largest Storytelling Platform

मत भरो अपने उर भीतर हलाहल तुम मेरे विरूद्ध, अमिय

मत भरो अपने उर भीतर हलाहल तुम मेरे विरूद्ध,

अमिय का निरन्तर प्रवाह हूँ मैं कल्मष का कोई प्रतीक तो नही...!! अमिय- अमृत
कल्मष-पाप
मत भरो अपने उर भीतर हलाहल तुम मेरे विरूद्ध,

अमिय का निरन्तर प्रवाह हूँ मैं कल्मष का कोई प्रतीक तो नही...!! अमिय- अमृत
कल्मष-पाप