मेरी उदासी का रंज , तेरे पहाड़ों से नहीं है , शाम । शाम के उन लम्हों से हैं ।। जहाँ मैं अक्सर जाता तो हूँ । पर ख़ुद को, उनमें खो आता हूँ ।। ©Kumar Harish #सकूनँ