काल करे सो, आज कर,आज करे सो अब । पल में प्रलय होयगी, बहूरी करेगा कब ,कबिरा ।। दूख में सूमिरनं सब करें, सूख में करें कोय । जो सूख में सूमिरन करें, तो दूख काहे को होय,कबिरा।। रहिमन धागा प्रेम का ,मत तोडो छिटकाय । टूटे से गांठ पड़ जाय, प्रेम रहे न कोय ,कबिरा।। गूरू गोविंद दोनो खड़े, काय के लागू पाय। बलिहारी गुरु आपने,गोविंद दियो बताए कबिरा।। #sumitra kumari ©Vijay Kumar #कबिरा