दुनिया तेरे दिखावे बड़े जहाँ देखो मुर्दे ही गडे बात जो कभी सोची भी नहीं नहीं उसी में देखो बखेडे खड़े न हूँ मैं समझा अभी कहाँ हैं जड़ें दुनिया तेरे दिखावे बड़े जहाँ देखो वहाँ मुर्दे गडे.... पं.अश्वनी कुमार मिश्रा दिखावे के बाजार