_*📝“सुविचार"*📝_ _🌼 *“23/8/2021”*🖋️ _ 🌫️_*“सोमवार”*_🌥️ “सागर की लहरें” “तट” से टकराकर “पत्थरों” से टकराकर उनका “आकार” ही बदल देती है, “कटीले नुकीले पत्थर” इन पर घिसघिस कर इन्हें “गोल” बना देती है,किंतु ये “सागर की लहरें” इनका “आकार” कभी नहीं बदला, क्योंकि यह “बिखर” कर भी “जुड़ना” जानती है देखिए “वाद-विवाद”,“तर्क-वितर्क”, “मतभेद” ये जीवन का “अभिन्न अंग” है, किंतु इन्हें कभी “मन” में प्रवेश न करने दे, यदि “मन में प्रवेश” कर भी जाए तो वहां उन्हें “वास” न करने दे,इन्हें निकाल फेंके, “वाद-विवाद”,“तर्क-वितर्क”, मतभेद इन्हें “जीवनभर” साथ लेकर मत चलिएगा, यदि साथ चलना है तो सबको साथ लेकर चलिए, “लहरों की भांति” , “एकता(संगठन)” में विश्वास रखिए, साथ मिलकर आगे बढ़ोगे तो दूर तक पहुचोगे, अन्यथा सिर्फ “दूर की सोच” ही रखकर ही रह जाओगे, और “दूर की सोच” अच्छी नहीं होती है _*अतुल शर्मा🖋️📝*_ ©Atul Sharma _*📝“सुविचार"*📝_ _🌼 *“23/8/2021”*🖋️ _ 🌫️_*“सोमवार”*_🌥️ #“सागर की लहरें” #“तट”