वलय में काँच के अंदर छलकती जाम सी आँखें, चमकती धूप में भी ले रही थी सर्द सी साँसें। समझता रह गया मैं बैठ कर पीछे की कुर्सी पर, बनावट रूप की देखें या उसकी रूह में झाँकें। --निखिल की कलम से। #LOVE_SHAYREE_NOJOTO