बहन अक्सर तुमसे बड़ी होती है, उम्र में चाहे छोटी हो, पर एक बड़ा सा एहसास लेकर खड़ी होती है, बहन अक्सर तुमसे बड़ी होती है, उसे मालूम होता है कि तुम देर रात लौटोगे, तभी चुपके से दरवाज़ा खुला छोड़ देती है, उसे पता होता है कि तुम कब झूठ बोल रहे हो, और बस मुस्कुरा कर उसे ढक देती है, वो तुमसे लड़ती है पर लड़ती नहीं, वो अक्सर हार कर भी जीतती रही है तुमसे, जिससे कभी चोट नहीं लगती ऐसी एक छड़ी होती है, पर राखी के दिन जब एक पतला सा धागा बांधती है कलाई पे , मैं कोशिश करता हूँ बड़ा होने की, धागों के इस रार पर ही सही , कुछ पल के लिए मैं बड़ा होता हूँ, एक मीठा सा रिश्ता निभाने के लिए खड़ा होता हूँ, नहीं तो अक्सर बहन ही तुमसे बड़ी होती है, उम्र में चाहे छोटी हो, पर एक बड़ा सा एहसास लेकर खड़ी होती है | @Pandey .A. Harsh #Prasoon रक्षाबंधन