हर साँस शिकायत करती हैं! हर रोज बग़ावत करती हैं!! खुद से ही लडती झगती हैं! हैं खोई कहाँ पर राहें हैं!! हैं धुँआ - धुँआ मेरी राहों में, उसको ही चीरती रहतीं हूँ!! हर साँस शिकायत करती हैं,,,,,,, हैं लम्बा सफ़र मेरे ख्वाबों का, मंज़िल धुँधली - सी दिखती हैं!! चलती हूँ, चल कर रुकती हूँ! रुक कर फिर से चलती हूँ!! हैं हयात का सफ़र ए कैसा? इसमें ही पिसती रहतीं हूँ!! हर साँस शिकायत करती हैं,,,,, था ख़्वाब मुझें जो प्रिय, अब्तर, अब वो हो गया!! अब्तर सपना बड़ा चुभता हैं! ए दर्द घनेरा देता हैं!! अब हूँ मैं भावनाहीन एक कठपुतली, जो दूसरों के इशारों पर नाचती हैं!! हर साँस शिकायत करती हैं,,,,, हैं विचार अब मेरे सहमें - से, मेरी रचनाओं में सिमटे- से!! एक अंक जो मुझसे हट गया! हो गई हैं अब मेरी कहानी अदम - सी!! अन्जुमन में भी अब रहतीं हूँ मैं खोई - सी! क्यों? ऐसा मेरा बर्ताव हुआ!! हैं रंगहीन मेरे हयात में, कुछ भी ना अब शेष बचा!! कुछ खोया हैं! कुछ पाया हैं!! पर स्वयं से स्वयं में, मैं विजय हुई! इस बात की प्रसन्नता हैं!! हर साँस शिकायत करती हैं! हर रोज बग़ावत करती हैं!! ✍️js Gurjar पार्ट -3 हर साँस शिकायत करती हैं! हर रोज बग़ावत करती हैं!! खुद से ही लडती झगती हैं! हैं खोई कहाँ पर राहें हैं!! हैं धुँआ - धुँआ मेरी राहों में,