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#Pahad ka Insaan पहाड़ का बेटा `````````````` गंग

#Pahad ka Insaan

पहाड़ का बेटा
``````````````
गंगा जहां से निकलती है
शिवजहाँ विराजमान हैं
स्वर्ग जहां से दिखता है
जहां देवों का स्थान है ! 
 मैं उस  देवभूमि से हुं
जहां हर घर का एक बेटा 
वतन के नाम कुर्बान है!!

पहाड़ का पुरुष
`````````````````
विश्वास जिनके खून में
पुरुष पौरुष वो महान है
सरल,शीतलता जिनकी बातों में
पहाड़ी सच्चा वो  इंसान है

पहाड़ की नारी
```````````````
चरित्र यहां पवित्र है
वही नारी का शस्त्र है 
लाज पर बात आई तो
वो कृष्ण को नहीं  बुलाएगी
तू आंख उठा कर मत देखना। 
धर वो स्वयं काली का रूप  
पापी का संघार कर जाएगी !

पहाड़ की बेटी-
```````````````
बेटियां यहां देवी हैं
उन्हीं से पहाड़ों में उजाला है
बेटा घर का चिराग सुना होगा आपने
यहां हर घर में एक ज्वाला है

पहाड़ों में बचपन
'''''''''''’''''''''''''''''''''''"'"""
पहाड़ों में बचपन बड़ा निराला है 
सुबह श्याम फिरता  वनों में
वह कृष्ण जैसे ग्वाला है और,
ठंड बहुत पड़ती है यहां तभी तो
सुबह श्याम हाथों में चाय का प्याला है

मेरा पहाड़
''''''''''''''''''''''''''''
मुझे माफ करना पहाड़ मेरी भी  मजबूरी है
अब तुम से दूर मेरा जाना जरूरी है
 
पहाड़ पहाड़ी से

जानता हूं जाने के बाद कहां वो चैन से शहरों में सोया है
उसने चंद पैसों के लिए पहाड़ों की सुख , सुंदरता  को खोया है

©Narendra Negi #devbhoomi #garwali #garhwalrifiles #Uttarakhand #uttrakhandgirlpreeti #pahad #pahadiwriter #pahdi #India
#Pahad ka Insaan

पहाड़ का बेटा
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गंगा जहां से निकलती है
शिवजहाँ विराजमान हैं
स्वर्ग जहां से दिखता है
जहां देवों का स्थान है ! 
 मैं उस  देवभूमि से हुं
जहां हर घर का एक बेटा 
वतन के नाम कुर्बान है!!

पहाड़ का पुरुष
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विश्वास जिनके खून में
पुरुष पौरुष वो महान है
सरल,शीतलता जिनकी बातों में
पहाड़ी सच्चा वो  इंसान है

पहाड़ की नारी
```````````````
चरित्र यहां पवित्र है
वही नारी का शस्त्र है 
लाज पर बात आई तो
वो कृष्ण को नहीं  बुलाएगी
तू आंख उठा कर मत देखना। 
धर वो स्वयं काली का रूप  
पापी का संघार कर जाएगी !

पहाड़ की बेटी-
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बेटियां यहां देवी हैं
उन्हीं से पहाड़ों में उजाला है
बेटा घर का चिराग सुना होगा आपने
यहां हर घर में एक ज्वाला है

पहाड़ों में बचपन
'''''''''''’''''''''''''''''''''''"'"""
पहाड़ों में बचपन बड़ा निराला है 
सुबह श्याम फिरता  वनों में
वह कृष्ण जैसे ग्वाला है और,
ठंड बहुत पड़ती है यहां तभी तो
सुबह श्याम हाथों में चाय का प्याला है

मेरा पहाड़
''''''''''''''''''''''''''''
मुझे माफ करना पहाड़ मेरी भी  मजबूरी है
अब तुम से दूर मेरा जाना जरूरी है
 
पहाड़ पहाड़ी से

जानता हूं जाने के बाद कहां वो चैन से शहरों में सोया है
उसने चंद पैसों के लिए पहाड़ों की सुख , सुंदरता  को खोया है

©Narendra Negi #devbhoomi #garwali #garhwalrifiles #Uttarakhand #uttrakhandgirlpreeti #pahad #pahadiwriter #pahdi #India