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जवाब नहीं है मन में मेरे, जवाब खोजने चला हूं खुद क

जवाब नहीं है मन में मेरे,
जवाब खोजने चला हूं खुद के घर मुसाफिर बन के,
कसूर ये तेरा भी नहीं है।
काश जवाब होती तू मेरा,तो जिंदगी का हर लम्हा देता कर मैं नाम तेरे,
अकेला होकार भी साथ रहा तेरे,
अधुरा होकार भी पूरा किया तूने,
कभी मुसाफिर, कभी दोस्त,
कभी दिल में बसेरा किया तूने।
काश जवाब होती तू मेरा, तो तारे देख कर बाते करता चांद से तेरी,
पर जिंदगी का खेल भी गजब ढ़ा गया जो पास है तू मेरे तो तू जवाब नहीं एक किताब बन गई।
लगता है ऐंसा रोज़ पढ़ लू तुझे, तो लगे है तू मेरा जवाब बन गई!,

©Chahat Bobade
  "JAWAB" by CHAHAT BOBADE

"JAWAB" by CHAHAT BOBADE #Quotes

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