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ऐसा क्यों है? वो निकल गया है अश्कों में, तू द

ऐसा क्यों है? 

वो निकल गया है अश्कों में,  
तू  दुखी आँखों से रोता क्यों है?
अब मान के खुद को तनहा, 
तू रोज़ मोती पिरोता क्यों है ? 

अभी भी कंही जगी है ख्वाहिश, 
चिंगरी में तन बिगोता क्यों है ? 
है सूरज की चाह अभी तुझमे, 
फिर चाँद के नीचे सोता क्यों है ?

फैली है जब हर तरफ हरयाली, 
तू सूखे पत्ते ढूंढ़ ढोता क्यों है ?
क्यों फैला है तेरी तन्हाई में दर्द , 
तू गम के पल संजोता क्यों है ?

हर बातों का जवाब तेरे पास,
तू सवालों का भोझ ढोता क्यों है ?
जब सब कुछ है तेरे हाथों में,
           फिर इंसान तू ऐसा रोता क्यों है?           

तनहा शायर हूँ-यश











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©Tanha Shayar hu Yash
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