हवाएं जब चलती है तो पत्तें करते हैं मधुर शोर, चिड़िया जब चहचहाते हैं तो होते हैं भोर,, होती हैं जब बारिश तो नाचते हैं मदमस्त होकर मोर, यै प्रियतमा एेसे बलखाती-इतराती चली किस ओर,, दिल पर मेरे अब चलता नहीं हैं किसी का जोर, आंखे जब तुझसे मिलती हैं तो हो जाता हूँ कमजोर,, प्यार तुझे मैं पुर्ण करूंगा प्रिये समझो न कमजोर, यै प्रियतमा एेसे बलखाती-इतराती चली किस ओर,, कर ले तु इकरार प्रिये बंध जाये हम इक डोर, बसा ले तु मुझे अपने दिल में बन जाऊं तेरे सपनों का चोर,, आ पास मेरे तु बैठ प्रिये कर लूं प्यार की बातें घोर, यै प्रियतमा एेसे बलखाती-इतराती चली किस ओर,, देखकर तेरे काली आंखे छा जाते हैं बादल घनघोर, तु ही बता दिल में बसाये तुझे किस कोर,, कितना भी रोकु तुझसे प्यार करने से चलता नहीं हैं खुद पर जोर, यै प्रियतमा एेसे बलखाती-इतराती चली किस ओर -किशन राज