आज तुम्हारे चर्चे कम थे, नहीं तो और भी लिख्खा होता, आज सही में फ़ुर्सत कम थी, नहीं तो और भी लिख्खा होता। आज सियासत गरम है लेकिन, गुरबत का कोई चेहरा होता, फिर से वही हुकूमत होगी, नहीं तो और भी लिख्खा होता। याद तुम्हारी आयी थी पर, काश की तूं भी आया होता, रात अकेला सहमा था मैं, नहीं तो और भी लिख्खा होता। मैं जो नशेमन छोड़ के निकला, भीड़ में काफ़ी बहका होगा, जद्दोज़हद थी वज़ूद की शायद, नहीं तो और भी लिख्खा होता। #yqdidi #yqhindi #सियासत #हुकूमत #ग़ुरबत #वजूद #जद्दोजहद #नशेमन