शेर सबने कहे परिंदों पर जाविये थे नए परिंदों पर जब सभी फिक्र इनकी करते हैं ज़ुल्म किसने किये परिंदों पर ख़्वाब की बात कर रहे थे ये देख! पहरे हुए परिंदों पर पेड़ को छोड़ उड़ गए सारे तीर इतने चले परिंदों पर कैद में हूँ अगर तो क्यूँ तूने जाल फेंका नए परिंदों पर काट कर आप ले गए लकड़ी पेड़ सब गिर पड़े परिंदों पर -चौरसिया- #ग़ज़ल #ghazal #kyabaat #spokenstudios2