जो कहानी / किताब एक पिता को उसी की पुत्री के विवाह के लिए प्रतिभागी बताए और तो और उस पिता के द्वारा उसका अपहरण कराए और उसे उसकी पटरानी बनने को विवश करने का पूर्ण प्रयास करने वाला पिता बताए और वो भी एक सनातनी ब्राह्मण पिता; वो एक धर्म शास्त्र कैसे हो सकता है? यह तो मानव धर्म क्या, असुरों के धर्म में भी महापाप है। धर्म शास्त्र में ऐसे विचारों तक को भी नहीं दिखाया जा सकता, ऐसी अतिसयोक्ति भरी रचनाएं सत्य भी हों तो काल्पनिक माननी चाहिए, जो मात्र लोक प्रियता के उद्देश्य से रची गई हैं, इस प्रकार की अनैतिक कथाओं युक्त रचना को धर्म शास्त्र मान लेना पूर्णतया अनुचित होगा।
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